गुरुवार, 3 दिसंबर 2009

अवसरवादी राजनीति के मोहरे और हम

रामलीला मैदान में सत्याग्रह कर रहे लोगों पर रात के डेढ़ बजे लाठीचार्ज. सैकड़ों घायल कुछ कि हालत गंभीर. बाबा रामदेव भक्तों अनुयायियों को पिटता छोड़ महिला वस्त्र धारण कर घटना स्थल से पलायन कर जाते है. घटना को लेकर देश भर में प्रदर्शन केंद्र सरकार कि चारो तरफ आलोचना. कांग्रेस पार्टी की तरफ से पहली आक्रामक सफाई मुस्लिम जनसभा में दे जाती है. जिसमे राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह बाबा रामदेव और संघ परिवार पर गंभीर आरोप लगते है. बीजेपी योग गुरु पर लाठी चार्ज के खिलाफ राजघाट पर सांकेतिक प्रदर्शन करती है जिसमे पार्टी पदाधिकारियों आक्रोश के चेहरे से आक्रोश गायब था. उनके नाच गाने से कुछ और ही संकेत मिल रहे थे.
ध्यान से देखें तो इस प्रकरण में सरकार और रामदेव सिर्फ दो पक्ष नहीं चार पक्ष है. कांग्रेस यानी सोनिया राहुल लौबी जिसमे दिग्विजय सिंह भी है, बाबा रामदेव, बीजेपी और केंद्र सरकार यानि मनमोहन सिंह. दिल्ली की मुख्य मंत्री शीला दीक्षित कार्यवाही को लेकर अनभिज्ञता जाता चुकी है. यानी घटना में गाँधी परिवार के करीबी गृह मंत्रालय की भूमिका हो सकती है.
रात के अँधेरे में लाठी चार्ज के लिए सबसे ज्यादा फजीहत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की हुई. देश ही नहीं विदेशों में भी सवाल पूछे गए. दूसरी तरफ गिरफ्तारी से डरे सहमे भागते हुए बाबा रामदेव की तस्वीरो ने उनकी छवि को नुक्सान पहुचाया. सबसे ज्यादा नुक्सान उनकी राजनितिक महत्व आकांछा को हुआ.
इस घटना का सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी और कांग्रेस पार्टी को हुआ. कांग्रेस अपने मिशन २०१२ के लिए युवराज राहुल को तैयार कर चुकी है. इसके आड़े आ रही है मनमोहन सिंह की इमानदार और बेदाग़ छवि. इसी छवि को लोगों ने पिचले चुनावो में चुना था. यह छवि जितनी बदनाम होगी उतनी सहजता से उन्हें हटाया जा सकेगा. भ्रश्ताचारियीं को बचाने का आरोप उन पर पहले ही लग चूका है, अब लोकतंत्र को कलंकित करने का आरोप भी उन्ही के माथे मढ़ा गया. धीरे धीरे मनमोहन सिंह जनता के बीच अस्वीकार्य होते जा रहे है. इससे अलग कांग्रेस पार्टी घटना के बाद सरकार का बचाव करने के बजाय बैंक की जुगत में लगी हुई थी. बाबा के मंच पर साध्वी ऋतंभरा की मोजुदगी ने मुसलमानों को निराश किया था. लिहाजा दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस पार्टी की तरफ से पहली सफाई पूरे मुस्लिम भेष भूषा में मुस्लिम जनसभा में दी. इस दोरान उन्होंने बाबा और संघ परिवार पर
रामलीला मैदान में सत्याग्रह कर रहे लोगों पर रात के डेढ़ बजे लाठीचार्ज. सैकड़ों घायल कुछ कि हालत गंभीर. बाबा रामदेव भक्तों अनुयायियों को पिटता छोड़ महिला वस्त्र धारण कर घटना स्थल से पलायन कर जाते है. घटना को लेकर देश भर में प्रदर्शन केंद्र सरकार कि चारो तरफ आलोचना. कांग्रेस पार्टी की तरफ से पहली आक्रामक सफाई मुस्लिम जनसभा में दे जाती है. जिसमे राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह बाबा रामदेव और संघ परिवार पर गंभीर आरोप लगते है. बीजेपी योग गुरु पर लाठी चार्ज के खिलाफ राजघाट पर सांकेतिक प्रदर्शन करती है जिसमे पार्टी पदाधिकारियों आक्रोश के चेहरे से आक्रोश गायब था. उनके नाच गाने से कुछ और ही संकेत मिल रहे थे.
ध्यान से देखें तो इस प्रकरण में सरकार और रामदेव सिर्फ दो पक्ष नहीं चार पक्ष है. कांग्रेस यानी सोनिया राहुल लौबी जिसमे दिग्विजय सिंह भी है, बाबा रामदेव, बीजेपी और केंद्र सरकार यानि मनमोहन सिंह. दिल्ली की मुख्य मंत्री शीला दीक्षित कार्यवाही को लेकर अनभिज्ञता जाता चुकी है. यानी घटना में गाँधी परिवार के करीबी गृह मंत्रालय की भूमिका हो सकती है.
रात के अँधेरे में लाठी चार्ज के लिए सबसे ज्यादा फजीहत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की हुई. देश ही नहीं विदेशों में भी सवाल पूछे गए. दूसरी तरफ गिरफ्तारी से डरे सहमे भागते हुए बाबा रामदेव की तस्वीरो ने उनकी छवि को नुक्सान पहुचाया. सबसे ज्यादा नुक्सान उनकी राजनितिक महत्व आकांछा को हुआ.
इस घटना का सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी और कांग्रेस पार्टी को हुआ. कांग्रेस अपने मिशन २०१२ के लिए युवराज राहुल को तैयार कर चुकी है. इसके आड़े आ रही है मनमोहन सिंह की इमानदार और बेदाग़ छवि. इसी छवि को लोगों ने पिचले चुनावो में चुना था. यह छवि जितनी बदनाम होगी उतनी सहजता से उन्हें हटाया जा सकेगा. भ्रश्ताचारियीं को बचाने का आरोप उन पर पहले ही लग चूका है, अब लोकतंत्र को कलंकित करने का आरोप भी उन्ही के माथे मढ़ा गया. धीरे धीरे मनमोहन सिंह जनता के बीच अस्वीकार्य होते जा रहे है. इससे अलग कांग्रेस पार्टी घटना के बाद सरकार का बचाव करने के बजाय बैंक की जुगत में लगी हुई थी. बाबा के मंच पर साध्वी ऋतंभरा की मोजुदगी ने मुसलमानों को निराश किया था. लिहाजा दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस पार्टी की तरफ से पहली सफाई पूरे मुस्लिम भेष भूषा में मुस्लिम जनसभा में दी. इस दोरान उन्होंने बाबा और संघ परिवार पर तीखे आरोप लगाये .कोंग्रेस रणनीति कारों को लगता है किस इस घटना के बाद मुसलमानों के एक बड़े तबके को चुनाव के दौरान वोट में तब्दील किया जा सकता है .

घटना के बाद बीजेपी को भी दूरगामी लाभ हुआ. बाबा रामदेव अपनी अलग पार्टी बना कर चुनाव लड़ना चाहते थे. उनकी इस राजनैतिक महत्वाकांक्षा से आर एस एस और भाजपा मे खलबली मची हुई थी इसी बीच काला धन को लेकर बाबा रामदेव के धरने ने पुरे देश का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया अगर धरना सफल हो जाता तो उनकी छवि राष्ट्र नायक की होती जिसका सीधा लाभ उनकी बनने वाली पार्टी को होता चुनाव में वो सिर्फ भाजपा का ही वोट काटते कभी भाजपा के पीछे खड़ा होने वाला संत समाज बाबा के मंच पर दिखने लगा लाठी चार्ज की घटना के बाद जिस तरह बाबा औरतों के कपडे पहन के भागे उससे उनकी बहुत किरकिरी हुई संत समाज ने उन्हें बहिष्कृत करने की घोषणा की वही रामदेव की पिटाई से आक्रोशित हिंदू मन भाजपा से जुड गया

घटना के बाद भाजपा के प्रदर्शन में तेवर गायब थे आक्रोषित मन किसी भी गाने पर मुस्कुराते हुए नांच नहीं सकता चेहरे और शारीरिक हाव भाव किन्ही विशेष आयोजनों का संकेत देते हैं तो क्या राजनैतिक नफा नुक्सान का आंकलन कर इस लाठी चार्ज के लिए विपक्ष की मौन सहमति थी .किसी शायर की ये दो पंक्तियाँ और बात खत्म

खून के दाग हैं जहाँ संतों के दामन पर

तू वाहन कौन से नानक को सदा देता है

तू खड़ा हो के कहाँ मांग रहा है रोटी

यह सियासत का शहर है

सिर्फ दगा देता है



जब दुखी हो




क्या करें किससे कहें ?
आगोश में किसकी,
ये अपना सर रखें,
रोते रहें रोते रहें ?



जब दुखी हो, राह न हो।
हार ही हो हर डगर पर।
जब लगे कुछ भी नही है जगत में ।
और भार है तू जगत पर।

और जब हर बात जग की ,
तीर सी तीखी ।
जब लगे की जिंदगी है,
कट रही एहसान पर।
जब दर्द से तेरा ह्रदय ,
भर कर छलकने सा लगे।
जब ये जगत देखे दया के साथ तुझको ।
और तू रोये स्वयं के हाल पर।

जब लगे सम्मान तेरा
खो गया इस भीड़ में ।
जब तेरी आँखों के
आंसू बह चले हर बात पर।
दूर तक देखो मगर
जब कोई अपना न मिले ।
दूर तक ढूंढो मगर जब
धुंध ही केवल दिखे।

जब तुम्हे इस जिंदगी का
मोह थमता सा लगे ।
जब तुम्हे विश्वास न हो
स्वयं अपने आप पर।

जब तेरी आँखों के आगे
हो अँधेरा हर समय ।
और कांटे ही मिले तुझको
तेरी हर राह पर।
जिंदगी में जब भविष्यत् के
लिए न सोच पावो।
और कहने के लिए
जब भूत की असफलताएं हो।