गुरुवार, 3 दिसंबर 2009

जब दुखी हो




क्या करें किससे कहें ?
आगोश में किसकी,
ये अपना सर रखें,
रोते रहें रोते रहें ?



जब दुखी हो, राह न हो।
हार ही हो हर डगर पर।
जब लगे कुछ भी नही है जगत में ।
और भार है तू जगत पर।

और जब हर बात जग की ,
तीर सी तीखी ।
जब लगे की जिंदगी है,
कट रही एहसान पर।
जब दर्द से तेरा ह्रदय ,
भर कर छलकने सा लगे।
जब ये जगत देखे दया के साथ तुझको ।
और तू रोये स्वयं के हाल पर।

जब लगे सम्मान तेरा
खो गया इस भीड़ में ।
जब तेरी आँखों के
आंसू बह चले हर बात पर।
दूर तक देखो मगर
जब कोई अपना न मिले ।
दूर तक ढूंढो मगर जब
धुंध ही केवल दिखे।

जब तुम्हे इस जिंदगी का
मोह थमता सा लगे ।
जब तुम्हे विश्वास न हो
स्वयं अपने आप पर।

जब तेरी आँखों के आगे
हो अँधेरा हर समय ।
और कांटे ही मिले तुझको
तेरी हर राह पर।
जिंदगी में जब भविष्यत् के
लिए न सोच पावो।
और कहने के लिए
जब भूत की असफलताएं हो।

6 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी रचना । हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें

    कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
    वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
    डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
    इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
    और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये

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  2. बहुत सुन्दर भावपूर्ण कविता । स्वागत है ।

    जवाब देंहटाएं
  3. क्या करें किससे कहें ?
    आगोश में किसकी,
    ये अपना सर रखें,
    रोते रहें रोते रहें ?

    जवाब देंहटाएं