आज जीवन की उदासी से नही लड़ पा रहा हूँ
कैद हूँ मै इस उदासी में न हंस न रो सका
लिख रहा हूँ गीत गम के और गाता जा रहा हूँ
आज जीवन की उदासी से नही लड़ पा रहा हूँ .......
जन्म क्यों लेता है क्या उद्देश्य है इस जन्म का ?
जिंदगी की इस डगर या पथिक हूँ मै मृत्यु का ?
है प्राप्त करना क्या मुझे हूँ अर्थ बिन तो मै नही ?
भागते से लोग दीखते खो न जाऊँ मै कहीं ।
जाना कहा है ? किसलिए ? आखिर कहाँ मै जा रहा हूँ ?
आज जीवन की उदासी और नही लड़ पा रहा हूँ .........
जन्म लेकर जिंदगी की जंग मै शामिल हुआ ।
मारा गया सौ बार मै लेकिन अभी भी जी रहा हूँ ।
युद्घ का विध्वंस मैंने ही किया खुश हो मगर ।
जिंदगी के चक्र व्यूहों से निकल ना पा रहा हूँ।
बैठ कर तन्हाइयों में मै उदासी से लड़ा पर ।
आज जीवन की उदासी से नही लड़ पा रहा हूँ।
सोचता हूँ जन्म क्या है और मरना क्याबला ?
क्या बचपना, क्या काल यूँ और बुढापा मृत्यु क्या ।
नहीं सोचता हूँ साथ को था संग को है को रहेगा ।
सोचता हूँ साथ तन का क्या निरंतर दे सकूँगा ।
जन्म लेकर कौन जिया है सदा ये सोचकर ।
जिंदगी से मोह अपना भंग करता जा रहा हूँ ।
बैठ कर तनहाइयों में मई उदासी से लड़ा पर ।
आज जीवन की उदासी से नही लड़ पा रहा हूँ ।
क्या खुशी का जश्न और शोके सभा होती है क्या ?
एक दिन की बात न पूछेगा कोई कल यहाँ ।
किसलिए था खुश हुआ और किसलिए हूँ रो रहा ?
बदलाव होगा आंसुओ से ना खुशी से कुछ यहाँ ।
ये खुशी कितने समय की और गम की उम्र क्या ?
नाश होना जब सभी का फिर क्यों इसमे खो रहा हूँ ?
बैठकर तनहाइयों में मई उदासी से लड़ा पर ।
आज जीवन की उदासी से नही लड़ पा रहा हूँ ।
स्वस्थ है न पास मेरे धैर्य भी अब थक चुका ।
ना ह्रदय में शान्ति शक्ति सब यहाँ पर खो चुका ।
हीन हूँ संतोष से है हर्ष का भण्डार जो ।
आज थक कर चाहता हूँ छोड़ना संसार को ।
रहित रस से रूदन जीवन का नही अब सुन सकूँगा ।
इसलिए जीवन से अब मई अलग होता जा रहा हूँ ।
बैठकर तनहाइयों में मै रूदन सुनता रहा पर ।
आज जीवन के रूदन को मै नही सह पा रहा हूँ ।
आज जीवन ................. ... ... ... ... ... .... ... ... ...... ...
ranvijay ji...
जवाब देंहटाएंapki rachna ne mujhe isko teen bar lagatar padhne par majbur kar diya.. shukriya kehna chahta hu apko ki apne ise likha aur hum jaiso ko abhisinchit kiya...
ANURAG.