कृष्ण को छोड़कर दुनिया के समस्त अद्भुत व्यक्ति चाहे महावीर, चाहे बुद्ध, चाहे क्राइस्ट या कोई और हो। यह सभी परलोक के लिए जी रहे थे। उनका जीवन इस दुनिया के बजाय एक काल्पनिक दुनिया के लिए, परलोक के लिए, मोक्ष के लिए या फिर स्वर्ग के लिए था। मनुष्य का पूरा अतीत इतनी पीडा, इतनी सफरिंग इतनी कठिनाईयों का था कि इस पृथ्वी के जीवन को स्वीकार करना मुश्किल था। ऐसे में अतीत के सभी धर्म पृथ्वी को अस्वीकार करने वाले धर्म हैं। सिवाय कृष्ण को छोड़कर। कृष्ण इस पृथ्वी को पूरे जीवन के साथ स्वीकार करते हैं। वे किसी परलोक में जीने वाले व्यक्ति नहीं, इसी पृथ्वी पर, इसी लोक में जीने वाले व्यक्ति हैं। बुद्ध, महावीर और क्राइस्ट का मोक्ष इस पृथ्वी के पार कहीं दूर है, कृष्ण का मोक्ष इसी पृथ्वी पर यहीं और अभी है।
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